सेक्शन 10 में छिपा है टैक्स बचाने का राज, जानिए कैसे
जैसे-जैसे मार्च करीब आ रहा है, टैक्स बचाने को लेकर लोगों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। वैसे भी हमारी फितरत में है कि जब भी हम टैक्स देने के बारे में सोचते हैं, तो उसीके साथ हम टैक्स अदायगी से बचने के तरीके ढूंढ़ने के बारे में भी सोचते हैं। हमारी हमेशा यही कोशिश भी रहती है कि हमें कम से कम रकम टैक्स के रूप में चुकानी पड़े। ..और हम ऐसा क्यों नहीं सोचें, इसमें गुनाह ही क्या है? जब इनकम टैक्स एक्ट की धाराओं में टैक्स सेविंग के उपाय मौजूद हैं, तो उसका लाभ लेने में हर्ज ही क्या है। इनकम टैक्स एक्ट में एक ऐसी ही धारा है ‘सेक्शन 10’। इस धारा का लाभ उठाकर कोई भी अपनी बहुत सारी इनकम को टैक्स से बचा सकता है। आइए जानते हैं कौन-कौन सी इनकम पर इस सेक्शन के तहत छूट पाई जा सकती है।
एग्रीकल्चरल इनकम
अगर खेती से किसी भी प्रकार की इनकम प्राप्त होती है तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। यदि व्यक्ति की इनकम खेती के अलावा किसी अन्य तरीके से होती है, तो उसे नॉन एग्रीकल्चरल इनकम माना जाता है, जो टैक्सेबल होती है।
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लीव ट्रेवल अलाउंस (एलटीए)
लीव ट्रेवल अलाउंस के तहत घरेलू यात्राओं में सेक्शन 10(5) के अंतर्गत छूट मिलती है। एक व्यक्ति की सैलरी में लीव ट्रेवल अलाउंस की लिमिट के हिसाब से ही यह छूट मिलती है। एलटीए नियमों के मुताबिक, कर्मचारी और उसकी फैमिली के ट्रैवल खर्च पर चार साल के ब्लॉक में 2 बार टैक्स क्लेम किया जा सकता है। मतलब टैक्स एग्जेम्पशन सिर्फ 2 बार क्लेम किया जा सकता है, भले ही किसी ने कितने भी नियोक्ताओं के साथ इस बीच काम किया हो। इसलिए पुराने नियोक्ता के अनयूज्ड एलटीए को एक ही ब्लॉक में कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है।